उत्प्रेरण

किसी पदार्थ की उपस्थिति में यदि किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर परिवर्तित हो जाती है परंतु वह पदार्थ स्वयं अभिक्रिया के अंत में रासायनिक रूप में अपरिवर्तित रहता है तो उसे उत्प्रेरण कहते हैं. तथा ऐसे पदार्थ को उत्प्रेरण कहते हैं. उत्प्रेरण दो प्रकार का होता है-

समांगी उत्प्रेरण

जब उत्प्रेरक तथा अभिकारक दोनों की अवस्थाएं समान होती है तो उत्प्रेरण समाग कहलाता है.

विषमांगी उत्प्रेरण

जब किसी रासायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक की प्रावस्था  अभीकारकों से भिन्न होती है तो इस उत्प्रेरण को विषमांगी उत्प्रेरण कहते हैं.

उत्प्रेरक के लक्षण

रासायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक के द्रव्यमान तथा संघटन में कोई परिवर्तन नहीं होता, उत्प्रेरक की अल्प मात्रा अभिक्रिया के वेग को परिवर्तित करने के लिए पर्याप्त होती है.उत्प्रेरक अभिक्रिया आरंभ नहीं कर सकता, उत्प्रेरक विशिष्ट होता है, उत्प्रेरक का साम्यावस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.

उत्प्रेरक वर्धक

वह पदार्थ की उत्प्रेरण शक्ति को बढ़ा देते हैं उत्प्रेरक वर्धक कहलाते हैं.

उत्प्रेरक विष

वह पदार्थ जो उत्प्रेरक शक्ति को पूर्ण रूप से नष्ट कर देते हैं या कम कर देते हैं, उत्प्रेरक विष कहलाते हैं.

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